शुक्रवार, 9 दिसंबर 2016

हिन्दुस्तान नही

🇮🇳🇮🇳 एक गीत उन राष्ट्रों को समर्पित जो चंद्रमां पर जाकर गर्व् कर रहे हैं 🇮🇳🇮🇳

देखा होगा चाँद मगर भारत सा ज्योतिर्मान नहीं
देखा भी तो क्या देखा यदि देखा हिन्दुस्तान नहीं
जहाँ गार्गी लोपामुद्रा सावित्री व सीता हैं
कंठ कंठ में रामायण हर दिल में बसती गीता है
जहाँ दिलों में गूँज रही अब्दुल अशफ़ाक़ की गाथाएं
तिलक लगाकर जहाँ भेजती रण में बेटे माताएं
कहीं पद्मिनी जौहर करती लक्ष्मी का बलिदान कहीं
देखा भी..............
जहाँ हिमालय चढ़ा तिरंगा गौरव पर इतराता है
शौर्य शांति सुख व समृद्धि का अनुपम गीत सुनाता है
ताजमहल सा भाव भरा संसार कहाँ मिल सकता है
मुनि दधीचि का जनहित में कंकाल कहाँ मिल सकता है
पत्थर मिल सकता दुनिया में पर उसमे भगवान् नहीं
देखा भी तो ..............
प्यार और भाई चारा से महक रही डाली डाली
विश्व विजेता भी भारत से आकर लौट गया खाली
फैलाता आतंक यहाँ जो कायर नीरा अभागा है
प्यार यहाँ पिस्तौल नहीं रेशम का कच्चा धागा है
नफरत की दुनिया में प्यारे पलते ना रसखान कहीं
देखा भी..........
पाकिस्तानी चीनी अफगानी जापानी आते हैं देख देख वन उपवन वापी मन ही मन ललचाते हैं
कश्मीरी शालें मलमल रेशम की साड़ी कहाँ रखी
रुनझुन रुनझुन करती ये बैलों की गाडी कहाँ रखी
सौ चक्कर मारो दुनिया के है ऐसा स्थान नहीं
देखा भी........
प्रियांशु गजेन्द्र बाराबंकी🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

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