मेरे घर को छोड़ दूर कुछ गाओ चिड़ियों,
मेरे घर कुछ अरमानों की मौत हुई है।
नागफनी उग आयी है दीवारों में
आँगन में अंगारे चलना मुश्किल है,
सब खिड़की सारे दरवाज़े बंद करो
मेरी छत अब चाँद निकलना मुश्किल है।
नयनों राह न देखो अब भीगी पलकों से
सपनो के सब मेहमानों की मौत हुई है।
मेरे घर को ............................,।
भोर हवाओं का घुस आना वर्जित है
वर्जित है सूरज की किरणों का आना।
मेरे घर में केवल तनहाई बोलेगी या,
सदियों तक बोलेगा ख़ाली पैमाना ।
प्यासे होंठों मुझसे अब एक बूँद न माँगो
मेरे मन के मयखानों की मौत हुई है ।
मेरे घर को ............................,।
दरिया को घमंड वह पानी पानी तो,
अधरों को है गर्व कि वह एक प्यासा है,
पत्थर समझ रहा है ख़ुद को ईश्वर तो,
वह कम है क्या जिसने उसे तराशा है।
नहीं झुकाऊंगा अब यह सर उनके आगे,
मन में जिनके सम्मानों की मौत हुई है।
मेर घर को ............................,।