सोमवार, 29 जुलाई 2019

नयना कजरारे

काजल से तो कभी कपट से,
बाहर कभी कभी घूँघट से,
इन नयनों ने जाने कितने नयन नयन से मारे,
नयना कजरारे
              दुश्मन हुए हमारे
                              नयना कजरारे।

एक पलक में चाँद का टुकड़ा एक पलक में तारा,
उठे पलक तो मगन चाँदनी गिरे गहन अंधियारा ।
अलसाए तो भोर सरीखे,
जाग उठे तो दीपक घी के,
एक बार लग जाए नज़र उतरेगी नहीं उतारे।
नयना कजरारे,
                दुश्मन हुए हमारे नयना कजरारे।
मिलें नयन तो मदिरा मदिरा मिले बिना मधुशाला,
डूब जाओ तो सागर लगते उतराओ तो प्याला,
तिरछे तिरछे तेज़ कटारी
सीधे सीधे लगें दुधारी,
प्यार करें तो चंदन चंदन क्रोध भरे अंगारे,
नयना कजरारे
                  दुश्मन हुए हमारे नयना
इन नयनों ने योगी भोगी सबको नाच नचाया
नटवर नागर नाच उठे इन्हें जब राधा ने पाया,
वे नयना थे वृंदावन के,
ये दो नयना मेरे मन के,
किशन कन्हैया बन जाऊँ मेरी राधा मुझे निहारे।
नयना कजरारे,
                दुश्मन हुए हमारे
                                नयना कजरारे।

इन नयनो को कभी किसी बेबस को नहीं दिखाना,
निर्धन हो तो उठा के चलना धन मिल जाए झुकाना,
बंद रखो यदि दिखे बुराई,
खोलो तो देखो अच्छाई।
सबको प्यार करो दुनिया में रहकर सबके प्यारे !
नयना कजरारे,
                दुश्मन हुए हमारे
                                नयना कजरारे।

भूलकर पायल गयी है गांव में

लौटकर आएगी एक दिन,
कैसे बीतेंगे कई दिन
दृष्टि जाएगी कभी जब पाँव में,
भूलकर पायल गयी है गाँव में।

गीत मेरे कान में उनके पड़ेंगे,
तब क़दम उल्टे कभी सीधे पड़ेंगे,
वे विदुर घर साग रोटी खा गई है
इंद्रप्रस्थी भोज अब फीके पड़ेंगे।

मन है चंचल वक़्त है ठहराव में
भूलकर ...........................।

जब गगन भर लाएगा बादल में पानी,
महक बिखराएगी जब भी रात रानी
मखमली तकिये में सुख कैसे मिलेगा
जिसने देखी बाँह की यह राजधानी,

दिल भुला बैठी है दिल बहलाव में,
भूलकर ...............................।

भाव कैसा आज रोटी दाल का है,
सिन्धु क्या है और छिछला ताल क्या है
बिन हमारे एक पल क्या रह सकेगी
जब पता होगा कि मेरा हाल क्या है?

वह न भटकेगी किसी भटकाव में,
भूलकर ................................।
💐💐💐

बुधवार, 10 जुलाई 2019

अब न आऊंगा तुम्हारे द्वार

अब न आऊँगा तुम्हारे द्वार
यह लो जा रहा हूँ,
हार मेरी है मुझे स्वीकार,
यह लो जा रहा हूँ,
चाहते हो यदि मुझे बिल्कुल भुलाना,
गीत मेरे भूलकर मत गुनगुनाना,
जब लगे अवसाद में डूबा हुआ हूँ,
तुम जहाँ होना वहीं से मुस्कुराना।

मुस्कुराहट रूप का सिंगार
यह लो जा रहा हूँ।

मेरे दिल में तुम हो पर ताले नहीं हैं
रुक तो जाता रोकने वाले नहीं हैं
राधिका के प्रेम की दुनिया प्रशंशक,
कृष्ण का तप देखने वाले नहीं हैं।

व्यर्थ लगता हो गया अवतार
यह लो जा रहा हूँ।

जिस हृदय में प्यार की दौलत नही है,
वह हृदय वह घर है जिसमें छत नही है,
मैं वहाँ सूरज उगाने चल पड़ा था,
जिसके घर में धूप की क़ीमत नही है ।

हो गयी हर किरण अस्वीकार ,
यह लो जा रहा हूँ।

अध्याय पूरा कर दिया

मैं तुम्हारे प्रेम की बस भूमिका ही लिख रहा था,
और तुमने आख़िरी अध्याय पूरा कर दिया ।

पृष्ठ पर अक्षर न उभरे जिल्द पर छायी न लाली,
तूलिका मैंने न अब तक हाथ में अपने सम्हाली,
चाह थी हर एक पन्ने पर तुम्हारा नाम लिखता,
हाय तुमने तो अचानक लेखनी ही तोड़ डाली,

ज़िंदगी के सरस मधुवन का तुम्हें लिखता सुमन मैं,
किन्तु तुमने चुभन का पर्याय पूरा कर दिया ।
मैं तुम्हारे .........................................।

जानता था तुम न मेरे साथ मंज़िल तय करोगी,
बस हमारी ज़िंदगी के क़ीमती पल क्षय करोगी ।
बस यही मालूम ना था दिल से मैं चाहूँगा तुमको,
और तुम हर पल हमारे साथ बस अभिनय करोगी।

चाहता था मैं तुम्हें शीतल पवन या छांव लिखना
किन्तु तुमने तपन का अभिप्राय पूरा कर दिया ।
मैं तुम्हारे ..............................................।

तुम निकलना चाहते थे आ गया तुमको निकलना,
पर किसी सूरज के आगे फिर कभी भी मत पिघलना,
तुम तो दरिया बन किसी सागर से जाकरके मिलोगे,
किन्तु सूरज को पड़ेगा एक नही सौ बार ढलना।

प्यार है अपराध मेरा हद से ज़्यादा कर गया मैं,
और तुमने दर्द देकर न्याय पूरा कर दिया ।
मैं तुम्हारे .......……..............................।