मंगलवार, 16 मई 2017

तुम्हारे गीत गाऊंगा

तुम्हारे गीत गाऊंगा।
प्यार के हर एक चलन तक,
आंकड़ों से आकलन तक,
आज से अपने मिलन तक पथ सजाऊंगा,
तुम्हारे........
भीड़ में नज़रें चुराना,
धीरे धीरे गीत गाना,
और फिर कुछ दूर जाकर,
पीछे मुड़कर मुस्कुराना,
प्यार के जितने भी ढंग हैं, सब निभाउंगा।
तुम्हारे.......
देंह को पर्वत लिखूंगा,
मन को तप में रत लिखूंगा,
फिर भी यदि लआये नहीं तो,
आंसुओं से खत लिखूंगा।
नाम लिखकर नाव कागज की बहाऊंगा।
तुम्हारे.............
रात के पिछले पहर तक,
भोर से फिर दोपहर तक,
कब रहे हम दूर तुमसे,
आदि से अंतिम सफर तक,
साथ आया साथ रहकर साथ जाऊंगा।
तुम्हारे गीत गाऊंगा।

प्रियांशु गजेन्द्र