वो एक सपना दिखा रहे हैं या मुझको अपना बना रहे है
खड़े खड़े मुस्कुरा रहे हैं न आ रहे हैं न जा रहे हैं
नज़र से मेरी नजर मिलाकरके झूठ मुझसे न कह सकोगे
चलो तुम्हारा ह्रदय न टूटे हम अपना चेहरा छुपा रहे हैं
तुम्हें अगर तोडना ही है ये हमारा शीशे का दिल तो बैठो
कहाँ भटकते फिरोगे आओ यहीं पे पत्थर मंगा रहे हैं
बदलके देखे हैं चाँद तारे न अच्छे दिन हैं न अच्छी रातें
ईमान दारी से कह रहा हूँ जो खा रहे थे वो खा रहे हैं
किया था वादा किसी से हमने न याद आऊँ न आने दूंगा
उसे निभाने के हर जतन में न रो रहे हैं न गा रहे हैं ।
प्रियांशु गजेन्द्र
Bahut hi sundar rachna Hai sir ji
जवाब देंहटाएंWah wah ati sundar
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