शुक्रवार, 9 दिसंबर 2016

नयन का नशा है

भ्रमर के ह्रदय में सुमन का नशा है,
सुमन को भ्रमर के छुवन का नशा है
छुवन का नशा है नशीले नयन को
मुझे उस नशीले नयन का नशा है।

नयन को नयन से नयन का नशा है,
जलन बढ़ रही है जलन का नशा है,
जलन को नशा है किसी बावरी का,
उसी बावरी से मिलन का नशा है।

लगन लग गयी है लगन का नशा है,
लगन में भजन है भजन का नशा है,
नशा क्या करेगा उसे विष का प्याला,
जिसे श्याम जैसे सजन का नशा है।

घटाओं को ऊँचे गगन का नशा है,
गगन को धरा की तपन का नशा है
बहुत उड़ चुके हो कहीं थम भी जाओ
बहुत ऊँचे उड़ना पतन का नशा है।

चपल चांदनी को किरण का नशा है,
किरण को सुवर्णाभरण का नशा है,
तपाया गया है उसी जानकी को,
जिसे वन के स्वर्णिम हिरन का नशा है।

ढली धूप को अब तपन का नशा है,
थकी आँधियों को थकन का नशा है,
तुम्हे है नशा पाजी आतंकियों का,
मेरे देश को भी कफ़न का नशा है।

उसे शीघ्रता से मरण का नशा है,
जिसे वासना में तरण का नशा है,
बहुत शीघ्र जल जाती है उसकी लंका,
जिसे जानकी के हरण नशा है।

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर सबसे अलग
    आपका जवाब आप हो🙏

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  2. सर, आपने जीवन को साहित्य के ज्ञान में घोल कर जो चित्रित किया है ! उसे पढ़ और समझ कर अपने आप मन कह उठता है.. .वाह !

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  3. sir! aapke sabda sayinjan ki jitani tareef ki jae bahu hi kam hogi.

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