युग युग का संकल्प अटल था
मुझमे मेरा राम प्रबल था
पग-पग पर जग की मर्यादा
देकर थोडा ले गयी ज्यादा
भोर नयन भर लायी आंसू, पीड़ा लायी शाम,
सिया तेरा अभिशापित है राम
अग्नि परीक्षा जग का छल थी
पर जग के प्रश्नों का हल थी
फिर भी उस पर प्रश्न उठा है
जो गंगा जैसी निर्मल थी
मैंने घर से उसे निकाला
सागर जिसके लिए खंगाला
लंका जीतने वाला हार जीवन का संग्राम
सिया तेरा अभिशापित.......
बोल रहा पौरुष की भाषा
मेरा राजकुंवर नन्हा सा
जो प्राणों से भी प्यारा है
आज वही प्राणों का प्यासा
मेरा साहस तोल रहा है
मानों मुझसे बोल रहा है
जननी की हर एक पीड़ा का पाओगे परिणाम
सिया तेरा अभिशापित.........
तात मुझे करके वनवासी
आप हुए गोलोक निवासी
मेरे राजकुंवर कुटिया में
मैं हूँ राजभवन का वासी
कहती रघुकुल रीति अभागे
अब तक प्राण नहीं क्यूँ त्यागे
धरती शायद ठुकरा देगी जल में चिर विश्राम
सिया तेरा अभिशापित है राम
Very deep and touching
जवाब देंहटाएंकैसे करूं
हटाएंमैं उसे सलाम!
#सीता तेरा
मुजरिम है #राम!!
खुदकुशी
तुझे करनी पड़ी!
उसने लिए
तेरे वो इम्तिहान!!
#अग्निपरीक्षा
Shekhar Chandra Mitra
Bilkul sahi bhai sahab aapne kaha
जवाब देंहटाएंSir You are the best poet I ever listened among present generation. I hope your word will flourish around the world.
जवाब देंहटाएंमैं समझता हूँ हिंदी भाषा को विशेष स्थान देंगे तो बेहतर रहेगा बजाय अंग्रेज़ी के निवेदन है क्योंकि कविता हिंदी में ही है ।😊🙏
हटाएंVerily, these lines justify all the myth regarding "Ram" and the holy "Ramayana"
जवाब देंहटाएंSir you are truly poet of this era.
जवाब देंहटाएंSalute you
प्रियांशु दादा भगवान राम ने भी अगर ये सोचा होगा तो वो सच मे बहुत रोये होंगे, कविता का भाव समझकर मैं भी बहुत दुखी हुवा, भगवान की दया बनी रहे किसी के साथ ऐसा ना हो 🙏
जवाब देंहटाएंभैया जी प्रणाम....
जवाब देंहटाएंअदभुद कविता है लाजवाब सोचते हो आप प्रभु श्री राम के बारे में आप को सत सत नमन
Bahut achaaa sir
जवाब देंहटाएंBest poem for ram
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंwww.fakeyug.blohspot.com
अति सुंदर
जवाब देंहटाएंनिशब्द
जवाब देंहटाएंNaman Dil se
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति है।
जवाब देंहटाएंहिंदी को चुनने के लिए धन्यवाद।
आप से आशा है कि हिंदी साहित्य को जिंदा रखेंगे।
इस कविता पर टिप्पणी सम्भव नहीं है। अवर्णनीय, अद्भुत ,अद्वितीय, रचना के लिए न तो मेरे पास शब्द हैं न ही सामर्थ्य ।
जवाब देंहटाएंनमन है दादा आपको..... आपका ये हृदयस्पर्शी कविता पढ़कर जन्म धन्य हो गया..,🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंअतिसुंदर 👍👌 महौदय ....सिया तेरा अभिशापित राम हैं वाह क्या बात कहीं हैं, राम का दर्द निकाल कर रख दिया
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी
जवाब देंहटाएंसुंदरता टिप्स के लिए Sundarta.in जरूर चेक करें।
जवाब देंहटाएं