शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017

यहाँ न कोई राजा है यहां न कोई रानी है।

रहते थे रहते हैं रहेंगे राजा रंक फ़कीर,
अनुपम है यह प्रेम नगर जहाँ लाती है तकदीर।
ढाई आखर पढ़े कबीरा मीरा यहां दीवानी है,
यहां न कोई राजा है, यहाँ न कोई रानी है,

यहां घरों में द्वार नही हैं सब सबमे रहते हैं,
धूप छांव कुछ भी मुश्किल हो सब मिलकर सहते हैं,
यहां सिकन्दर झुक जाते हैं,
                     थम जाती शमशीर,
धन दौलत पीछे रह जाते
                       लुट जाती जागीर,
लुट जाता ईमान धरम सब लुटती यहां जवानी है,
यहां न कोई राजा है यहां न कोई रानी है।

बारूदों को बर्फ बना दे प्यार हिमालय जैसा है,
इसकी कीमत वह क्या जाने जिसकी कीमत पैसा है,
इस दुनिया का किशन कन्हैया,
                       बनकर एक अहीर,
दही चुराये मटकी फोड़े
                         कभी बढाये चीर।
शबरी के बेरों में रघुवर ढूंढें प्रेम निशानी है,
यहां न कोई राजा है यहां न कोई रानी है।

रोक सको तो रोक लो आकर दुनियावी सम्राटों,
प्यार की गंगा बह निकली है पाट सको तो पाटो,
प्यार में पर्वत रोते हैं,
                     नदियां ले जाती नीर,
सागर से जाकर मिलती हैं,
                          जयों रांझे से हीर
ताजमहल को भले मिटा दो मिटे न प्रेम कहानी है,
यहाँ न कोई राजा है यहाँ न कोई रानी है।

धर्मग्रन्थ में सार न ढूंढो मन्दिर मस्जिद में ताला,
आओ पण्डित मुल्ला खोलें प्यार की प्यारी मधुशाला,
यह दुनिया मयकश हो जाए,
                         मधु हो सारा नीर,
पीकर बहक उठे हर कोई,
                           उठे प्यार की पीर
मन्त्र प्यार के पढ़ो कहो अब हम सब हिंदुस्तानी हैं।
यहां न कोई राजा है यहां न कोई रानी है

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