मंगलवार, 11 अप्रैल 2017

तुम मेरा प्यार हो



मेरा प्यार हो
बादलों से चली,
सीप में तुम ढ़ली,
ओ विधाता के आँचल की सुन्दर कली-
तुम विधाता के सपनों का साकार हो। आके कह दो की तुम बस मेरा प्यार हो।।

देखकर तुम हमें मुस्कुराओ कभी।
आके सपनों में ही घूम जाओं कभी।।
झरने के पास या पेंड़ की छाव में।
गीत संग-संग मेरे गुनगुनों कभी।।
आज मिलकरके हम एक आकार हों-
आके कह दो की तुम बस मेरा प्यार हो।

साँझ पुरवाई संग घर से निकलों कभी।
पथ पर पलके बिछये मिलूँगा यहीं।।
यदि कठिन सा लगे मुझको पहचानना।
राग दुख से भरा छेड़ देना वहीं
पास आ जाऊँगा में निराकार हो।
आके कह दो की तुम बस मेरा प्यार हो।।

सप्त संगीत स्वर तेरी साँसो में है।
सृष्टि का प्रश्न हर तेरी आँखों में है।।
चाँद सूरज निकलने का क्या फायदा।
धूप वा छाँव तो तेरी बाहों में है।।
प्रात हो साँझ हो प्राण आधार हो।
आके कह दो की तुम बस मेरा प्यार हो।

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