मंगलवार, 18 दिसंबर 2018

एक फूल गिरा फिर अटल जी को समर्पित

स्वर्गीय अटल जी को समर्पित पढ़ें और शेयर करें

एक फूल गिरा फिर डाली से,
सारा उपवन हो गया मौन,
भँवरे तितली फिर हैं उदास,
गीतों की कड़ियाँ टूट गयी,
स्वर में है सुनी दीर्घ स्वांस,
सहमी सहमी हर कली आज,
कुछ डरी डरी है माली से।
एक फूल............
पत्तों के नम हो गए नयन,
शूलों को भी रोना आया,
उत्सवमय सारा स्वर्गलोक ,
एक दुलहन का गौना आया,
कैसी है रीति विधाता की,
कैसा है ईश्वर का विधान,
सारी धरती जो नाप गया,
उसके हिस्से कोना आया,
जाने फिर कौन कहाँ छूटे,
डर लगता अब रखवाली से,
एक फूल.......................।
हम दिन दिन रचते जाते हैं,
अपने सपनों के शीश महल,
बच्चे बन खेल खिलौने से,
कुछ पल की खातिर गये बहल,।
कुछ पल तक सारा खेल रहा,
कुछ पल हम राजा रानी थे,
कुछ पल में सब कुछ नष्ट हुआ,
कुछ पल में सब कुछ गया बदल,
कुछ पल का नाता जीवन का
था स्वांसों की मतवाली से,
एक फूल.....................।
तुम अटल तपस्वी जीवन के,
तुमसे मेरा सम्मान बढ़ा,
तुमसे रजनी हो गयी अस्त,
फिर पूरब में दिनमान चढ़ा,
वीरता पराक्रम पौरुष के,
हे तेजपुन्ज हे महापुरुष,
तेरी छाया में भारत ने,
था कारगिल में जयगान पढ़ा।
तुम इक इतिहास रचयिता थे
जग में शोणित की लाली से
एक फूल .........................।
प्रियांशु गजेन्द्र

1 टिप्पणी:

  1. aap ki kavita bhut achhi hoti hai kavi ji mujhe bhut achha lgta hai aapki ek rachna kaladhn piya wala mujhe bhi shauk hai kavi path krne ka kavita gazal geet lihta hu love per lekin abhi tk smjh nhi paya ki kavi munch kaise mile kripya sir ji help krne ki kripa kre mera number hai 7754814083 aapki bhut kripa hogi dhnyawaad aap bhut achha lihte hai shukriya aapka time dene ke liye

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