मंगलवार, 18 दिसंबर 2018

ग़ज़ल

हम बिखरकर भी सम्हालेंगे तुम्हें विश्वास रखिए,
किंतु सारी उम्र मुझसे दूर अपनी प्यास रखिए ।
भीख माँगूँगा न किरणो की भले घर फूँक लूँगा,
चाँद तेरा चाँद है तो चाँद अपने पास रखिए ।
क्या कहा तुमको किसी से प्यार होता जा रहा
एहतियातन कह रहा हूँ जेब में सल्फास रखिए ।
कौन कितना प्यार तुमसे कर रहा है जानना हो
एक दिन कुछ देर यूँ ही बंद अपनी स्वाँस रखिए ।
याद तुम आती हो तो आ करके जाती ही नही हो,
कमसे कम सप्ताह भर में एक दिनअवकाश रखिए।

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