रविवार, 31 मई 2020

तुम नहीं हो तो

तुम नही हो तो तुम्हारी याद साथी है 
याद ऐसी जो तुम्हारे बाद साथी है।

मै अकेला कब रहा तुम थे हमारे साथ मन में 
सामने जब थे तो थे नहीं थे तो थे जज्बात मन में, 
प्यार के आगे भला क्या टिक सकेंगी दूरियां भी
कुछ नही रहता तो रहती है तुम्हारी बात मन में। 
मरहमों से क्या गिला आघात साथी है, 
तुम नहीं हो तो तुम्हारी......................।

विरह में जलकर भी हमने बस तुम्हार ताप देखा, 
बस तुम्हें देखा किसी को देखने में पाप देखा 
प्यार में मर मर के जीना कोई क्या दिखलायेगा 
जो भी देखा प्यार करके मैने अपने आप देखा। 
स्वर नहीं तो मौन का संवाद साथी है।
तुम नहीं हो तो तुम्हारी......................।

तन भले है दूर कितना मन मे अब भी चित्र तेरा,
आज इन टेंसू के फूलों ने जिसे फिर फिर उकेरा 
ओ हवा रुक जा तनिक उपहार दे देना उसे कुछ 
स्वांस की खूशबू से खुश हो जाएगा वह मित्र मेरा 
और कहना उम्र भर अवसाद साथी है ।
तुम नही हो तो तुम्हारी याद.......।

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