सोमवार, 25 फ़रवरी 2019

नया साल फिर याद पुरानी

नया साल फिर याद पुरानी
प्यार कहो या फिर नादानी
मैंने फिर एक साल पुराना चित्र हृदय में बना लिया है।
बिना तुम्हारे नया साल फिर किसी तरह से मना लिया है।

डगमग दृष्टि तुम्हारी लेकरके आँगन में चौक पुराए,
अधरों से कुछ लाली लेकर उन पर थोड़े रंग चढ़ाए,
गोरा रंग वदन से लेकर थोड़ी धूप खिलायी मैंने ,
धूप तुम्हारी पाकर गमले वाले फ़ूल बहुत मुस्काए,

मन से सबकुछ किया मगर मन ही मन सब अनमना किया है।
बिना तुम्हारे ..........................................।

तुम बोलो अपने बारे में कैसा साल तुम्हारा बीता
इस दौलत के खुले युद्ध में तुमने क्या हारा क्या जीता,
जीवन के रंगीन सफ़र में मिला कौन किसका संग छूटा
भरा तुम्हारा दौलत का घट या फिर अभी रह गया रीता,

किसको कितना सुना और किसको कितना अनसुना किया है
बिना तुम्हारे ..........………........................।

ईश्वर करे तुम्हारे यश वैभव में चार चाँद लग जाएँ
स्तुति करें देवता द्वारे देवपुत्रियाँ मंगल गाएँ ,
जो कुछ अब तक नही मिला है ईश्वर दे दे नए वर्ष में,
आप हर्ष से वर्ष वर्ष भर जीवन में नव वर्ष मनाएँ ।

फल तुमको मिल जाएँ मैंने अब तक आराधना किया है
बिना तुम्हारे .................................................।

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