वह कौन है मेरी निगाहों में ?
वह कौन है?
इन आँखों में पलते-पलते,
इक दिन यूँ ही चलते चलते,
टकरा गया मुझसे राहों में।,
वह कौन है ?
वह कौन भिगो जाता पलकें हौले हौले से मुस्काकर,
मेरे उदास होते आता आकर धीरे से दुलराकर,
क्षण भर को दूर चला जाता क्षण भर को आता बाँहों में,
वह कौन है?
वह कौन है जो ख़ुशबू भरकर महका जाता है स्वाँस स्वाँस,
कुछ पल को मेरे कमरे में आ करके कर जाता प्रवास,
देता है सजा पुण्य में कर देता है माफ़ गुनाहों में,
वह कौन है ?
मेरे कड़वे पन को पीकर हंस हँसकरके सब सह लेता है,
झरनों के संग जन्मा फिर भी मुझ मरुथल में रह लेता है,
जीवन भर साथ निभाता संग संग जाता है क़ब्रगाहों में,
वह कौन है ?
प्रियांशु गजेन्द्र
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