शरशैय्या पर लगे पूंछने भीष्म पितामह
कहो युधिष्ठिर इंद्रप्रस्थ कैसा लगता है।
कहो युधिष्ठिर।
पतझर सा सूना सूना लगता है उपवन,
या फिर गीत सुनाती हैं अलमस्त हवाएं,
छमछम नूपुर बजते रहते राजभवन में
या फिर करती हैं विलाप व्याकुल विधवाएं।
कहो युधिष्ठिर कौरव कुल के लाल रक्त से,
धुला हुआ यह राजवस्त्र कैसा लगता है?
कहो युधिष्ठिर।
धर्म युद्ध है धर्मराज यह कहकर तुमने,
कौरव के समान ही की है भागीदारी,
धर्मयुद्ध था या अधर्म यह ईश्वर जाने,
पर समानतम थी दोनों की हिस्सेदारी।
कहो युधिष्ठिर धर्म युद्ध या केवल हठ में,
मानवता हो गयी ध्वस्त कैसा लगता है?
कहो युधिष्ठिर।
गली गली में लाखों प्रश्न खड़े हैं लेकिन,
प्रश्न सभी यदि युद्धों से ही हल हो जाते,
तो राधा के नयन प्रलय के आंसू लाते,
और सुदामा के तंदुल असफल हो जाते,
कहो युधिष्ठिर यह कैसा है धर्म जगत का ,
जीवन ही हो रहा नष्ट कैसा लगता है ।
कहो युधिष्ठिर
धर्मराज धर्मावतार सत्पथ अनुगामी,
तुमसे बढ़कर कौन जानता मर्म हमारा,
धर्म अगर संकट बन जाए राष्ट्रधर्म पर,
तो अधर्म के साथ रहूं था धर्म हमारा।
कहो युधिष्ठिर क्या था मेरा धर्म कि जिससे
जीवन था सब अस्त व्यस्त कैसा लगता है?
कहो युधिष्ठिर
क्या अब कर्ण नहीं बहते हैं गंगाजल में,
क्या निश्चिन्त हो गयी जग में कुन्ती मायें,
सर्वनाश हो गए कहो कुल दुशाशनों के,
या लुटती रहती हैं अब भी द्रुपद सुताएँ।
कहो युधिष्ठिर भोर हो गयी क्या भारत में,
या सूरज हो रहा अस्त कैसा लगता है?
कहो यधिष्ठिर?
प्रियान्शु गजेन्द्र
One of the my favorite poems.
जवाब देंहटाएंशानदार शुद्ध साहित्यिक रचना
जवाब देंहटाएंwow love u ur thoughts sir
जवाब देंहटाएंमेरा प्रिय गीत
जवाब देंहटाएंBest poem to new India
जवाब देंहटाएंbahut marmik aur satik kavita hai
जवाब देंहटाएंNice sir
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जवाब देंहटाएंकर्ण की सबसे बड़ी गलती
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जवाब देंहटाएंbahut sundar rachana
जवाब देंहटाएंअद्भुत,,,
जवाब देंहटाएंदुनिया की सबसे अद्बुत कविता
जवाब देंहटाएंअद्भुत रचना प्रियांशु जी ।
जवाब देंहटाएंBekar
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर जीवंत रचना है गुरूजी।
जवाब देंहटाएंशानदार
जवाब देंहटाएंSir me bhi Kavitaye likhti hu......ubharati huyi ek kavyitri.....me saudamini ban ghan me Dipti......aapse Marg puchhti hu.....kavi ka kavy Dharm puchhti hu.....kripya margdarshak bnne ki kripa kre
जवाब देंहटाएंवाह! लाजवाब और अत्यंत प्रासंगिक।
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