सोमवार, 20 सितंबर 2021

एक दिन तो

एक दिन तो अलग हमको होना ही है,
कल जो होना है वह आज ही से सही,
दुःख रहेगा तो बस एक ही बात का,
बात सारी रही अनसुनी अनकही।

इस चमन में कहाँ फ़ूल इतने खिले,
हर भ्रमर की जहां पूर्ण हो साधना।
हर नयन में लिखी प्राप्ति की लालसा,
हर अधर पर लिखी प्यास की याचना।

इस तरह से रहा प्यार तेरा भ्रमर,
जब रहा तब रहा अब नही तो नही।

तुम भी फूलो फलो हम भी फूलें फ़लें
ज़िन्दगी उस विधाता का उपहार है,
वह किसी को भला दे सकेगा तो क्या
अपने ऊपर नही जिसका अधिकार है,

प्यार के पन्थ में क्या  सही क्या ग़लत,
जो ग़लत वह ग़लत जो सही वह सही।

हम मुसाफ़िर हैं इस रात की भोर तक,
एक सूरज सुबह हमको ले जाएगा,
वाष्प की बूँद ने  ने यूँ कहा फ़ूल से,
इक नयी बूँद फिर चाँद दे जाएगा,

इस तरह से चली बूँद की ज़िन्दगी,
जब जमी तब जमी जब बही तब बही।

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