गुरुवार, 16 सितंबर 2021

ग़ज़ल

कहानी 
कहानी कुछ बनायी जा रही थी,
कहानी कुछ सुनायी जा रही थी,

खड़ा था दिल के दरवाज़े पे मै पर,
मुझे खिड़की दिखायी जा रही थी।

मै लिखना चाहता था छंद लेकिन,
मुझे ग़ज़लें लिखाई जा रही थी।

जिसे पीना था नयनों का अमिय रस,
उसे मदिरा पिलायी जा रही थी।

बुझाने आग निकला जब शहर की,
मेरी बस्ती जलायी जा जा रही थी।

जहाँ मैं ज़िन्दगी लेने गया था,
वहाँ अर्थी उठायी जा रही थी।

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