गुरुवार, 17 जून 2021

राम अखिलेश्वर

(१)
राम नाम पे सदैव राजनीति ही हुई है त्रेता युग में जो मंथरा ने शुरुआत की ,
रूप बदला तो आए द्वापर में श्याम बन कंस ने वहाँ भी जन्म पूर्व ख़ुराफ़ात की,
मुग़ल पधारे जन्म भूमि पे किए चढ़ाई नीयत बुरी थी किंतु आके मुलाक़ात की,
बात बात में अभी भी राम की है बात किंतु राम जी से ना कभी किसी ने कोई बात की ।
(२)
राम अखिलेश्वर अलौकिक अनादि अन्त रोम रोम राम में रमायी माता जानकी,
जगत पिता हैं रघुनन्दन दुलारे राम जगत जननि मेरी माता जानकी,
यज्ञ के पुनीत हव्य से प्रकट राम जी तो खेत की जुताई की कमाई माता जानकी,
सरयू के नीर में समाए श्रीराम जी तो धरती की कोख में समायी माता जानकी।
(३)
विश्वामित्र जी के तप में तपाए गए राम अग्नि के ताप में तपाई माता जानकी,
सामने रहे तो वे खिली खिली रही सदैव ओझल हुए तो मुरझाई माता जानकी,
दंडक वनों में राक्षसों के बीच सोए राम कंटकों के बीच जाके सोई माता जानकी,
चौदह वर्षों पे लौट आए वनवासी राम वन जो गई तो नहीं आयी माता जानकी।
(४)
आडवाणी जी के रथ पर घुमाए गए राम साथ साथ गई न घुमाई माता जानकी,
सच जो कहूं तो तुझे भाए हैं हमेशा राम फूटी आंख कभी न सुहाई माता जानकी,
त्रेता युग में पराया राम ने किया तो आज कलयुग में भी हैं पराई माता जानकी,
बोल री अयोध्या तुझसे करें गुहार या कि योगी मोदी जी की दें दुहाई माता जानकी।
(५)
राम जी को अपना रही है आज की अयोध्या बोल क्यों न गई अपनाई माता जानकी,
बहू और बेटा एक ही समान होता यदि क्यों नहीं सामान पद पाई माता जानकी,
राम जी की जन्मभूमि जन्मभूमि के हैं राम जनकपुरी से यहां आई माता जानकी,
बहू बहू होती बेटा बेटा जैसा होता हाय बेटा होती होती क्या पराई माता जानकी।

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