किसका किरदार हम पढ़ रहे थे,
किस कहानी में खोए थे ?
नैन इतने भी मासूम थे क्या,
जिनके पानी में खोए हुए थे?
वे नशीले नयन और होंगे,
जिनमे ढलते हैं हर रात प्याले
बाँह भी और ही होगी अब जो,
उम्र भर की थकन को सम्हाले।
ऐसी मिलती कहां अब कलाई
प्यार के जिनमें कंगन खनकते,
प्यार भी प्यार ही रह गया क्या
कर रहे जब से व्यापार वाले?
कातिलों के निशाने पे थे पर,
हम निशानी में खोए हुए थे।
तुमको देनी थी जो दे न पाया,
चिट्ठियां आज वे सब जला दी,
देने वाले की शायद कमी थी,
मुझको चाहत मुझे ही वफा दी।
प्यार मैंने निभाया तो ऐसे,
वैसे ईश्वर न कोई निभाए।
खुद का अपराध खुद की अदालत
खुद गवाही दी खुद को सजा दी,
उम्र से पहले आया बुढ़ापा,
हम जवानी में खोए हुए थे,
पांव पत्थर जहां छील देते ,
फायदा क्या चलें उस डगर पर।
मन है ख़ाली हुई जेब ख़ाली
बोझ हूं अब तुम्हारे शहर पर,
दोष सागर का कोई नहीं था,
ना ही पतवार थी इसमें दोषी।
नाव को एक दिन डूबना है,
जब नियंत्रण न हो हर लहर पर,
तट पे तूफान आया था तब हम,
राजधानी में खोए हुए थे।
💓💓💓
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत है भैया
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