मंगलवार, 20 अगस्त 2019

मेरे गीत न गाना मेरी

मेरे गीत न पढ़ना मेरी सोन चिरैया,
वरना नभ में उड़ना दूभर हो जाएगा।

बादल तुम्हें लगेंगे मेरे आँसू जैसे,
तारे लगेंगे मेरे डब डब नयना हैं।
चाँद लगेगा तुमको मेरी भोली सूरत
सूरज जैसे तपता मेरा बिछौना है।

मुझे न रखना अपने मन मंदिर में वरना,
यह तन मानव से ईश्वर हो जाएगा ।

हवा लगेगी महकी महकी साँसें मेरी,
गगन लगेगा फैली-फैली बाहें हैं,
तुम उन्मुक्त गगन के पंछी प्रियतम मेरे,
उछ्वासों तक जाती मेरी राहें हैं।

मत ठहरो धरती पर मेरी ख़ातिर वरना
यह जीवन नभ से ऊपर हो जाएगा।

अम्बर का हर कोना स्वागत करे तुम्हारा
तारे बिछ बिछ जाएँ पावन चरणों में,
मंगल गीत सुनाएँ तुमको दसों दिशाएँ
सपने तरस जायँ आने को सपनों में।

जाओ जाओ बुलबुल इस बगिया से वरना
इसका भी तृण तृण सुंदर हो जाएगा।

प्रियांशु गजेन्द्र

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें