मंगलवार, 28 मई 2019

छन्द (घनाक्षरी)

(1)

राह है अलग भले मंज़िल है एक मेरी क्षमता है कम तेरी क्षमता विशेष है ।

राजस्थानी गोरी तेज़ तेरी है ज़ुबान मीठी मीठी बोली वाला मेरा उत्तर प्रदेश है ।

तोड़ तोड़कर फेंकती हो कई बार दिल टूट भी गया है और टूटना भी शेष है ।

और तोड़ने का मन हो तुम्हारा तो बताओ टूटा टूटा दिल फिर तोड़ने को पेश है।

(२)

लहर लहर लहराए ओढ़नी का छोर चोरनी चली गयी है लाखों दिल चोरकै,

गोरे गोरे गाल लाल लाल ऐसी लाल जैसे किरण उतर आयी नदिया में भोर कै

चली तो चली कि ऐसी चलती चली गयी यूँ लहर उठी लहर लहर हिलोर कै

नागिन शरम से हुई है पानी पानी और देंह जल गयी सारी मोरनी के मोर कै।

(३)

चित्र तो विचित्र है चरित्र राम जाने किन्तु मन हो गया पवित्र नयनों में देखकर,

धीरे धीरे नींद ने पवित्रता बढ़ाई और पलकें हुई पवित्र सपनों में देखकर ।

हो गया पवित्र जैसे किष्किन्धा सम्राट राम जैसा वीर योद्धा अपनों में देखकर 

जूठे बेर देके जैसे शबरी पवित्र हुई केवट पवित्र हुआ चरणों में देखकर।

(४)

पंख कटवाये गीधराज हो गये पवित्र रावण पवित्र हुआ राम जी के बैर से 

भरत पवित्र हुए राम के खड़ाऊँओं से हो गयी अहल्या श्रीराम जी के पैर से,

होना है पवित्र रामजी के काम में पधारो आस न उम्मीद करो और किसी ग़ैर से 

ख़ैर चाहते तो ख़ैर इतनी रहे कि ख़ैर सबकी रहेगी सदा राम जी की ख़ैर से ।

(५)

नैन अपने रखो हमारे नयनों से दूर वरना कहोगी मेरे नैन भरमा गये,

नाचेंगे इशारे पर नैन कजरारे मेरे नैन के इशारे यदि एक बार पा गये।

दिल से निकालने की कोशिश करोगे किन्तु ना निकाल पाओगे कहीं जो हम भा गये।

आना मत पास वरना न दूर जा सकोगी,दूर जाओगे लगेगा और पास आ गये।

(६)

जानना ही चाहती हो जान लो की जान था मै जानबूझकर अनजान ना बना करो।

मानों या न मानों कभी था तुम्हारा मेहमान मान दो न दो परन्तु अपमान ना करो।

ठोकर लगानी थी लगा चुकी हो जीवन में चोट कितनी लगी है अनुमान ना करो।

अनदेखा करो प्यार से किसी को देखना जो लगे एहसान तो ये एहसान न करो।

(७)

समय की बात है समय से चला मगर समय भी क्या करे  समय ख़राब हो 

समय है एक वृक्ष एक डाल किंतु एक ही जगह एक काँटा दूसरा गुलाब हो 

समय है एक ग्रंथ धूल फाँकता मिलेगा समय का एक पन्ना ही बड़ी किताब हो 

समय ज़रूर आएगा कभी न कभी जब प्यार का सवाल हो तो प्यार ही जवाब हो।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें