शुक्रवार, 22 मार्च 2019

बैरंग वापस लौटा अनंग

बैरंग वापस लौटा अनंग,
उतरा उतरा सब प्रेम रंग
जो शेष बचा भी है अब तक तैयार खड़े तुम धोने को,
तुमको खोने के बाद भला क्या और बचेगा खोने को ।

तुमने जो रंग लगाया है वह रंग न मुझसे छूटेगा,
साँसों में महकेगा अबीर सुख चैन सभी कुछ लूटेगा,
माना मैं टूट गया हूँ अब तुमको हर बार जोड़ने में ,
फिर भी आशा थी यह बंधन ताउम्र न तुमसे टूटेगा।
मुझसे हर नाता तोड़ रहे ,
अब जब मुझसे मोड़ रहे,
जाओ स्वतंत्र होकर जाओ अब नहीं कहूँगा ढोने को
तुमको खोने ………..............................।

चेहरे पर लाखों चेहरे हैं आख़िर रंगते कितने चेहरे,
हर चेहरे के पीछे ममता के दूत खड़े गूँगे बहरे।
फूलो से कोमल गालों को भाते फूलों के रंग नहीं,
ख़ाली जेबों के बलबूते अब रंग कहाँ मिलते गहरे।
सोने चाँदी से तोली थी,
अब होली ऐसी होली थी,
सस्ती पिचकारी को महँगी चूनर ना मिली भिगोने को
तुमको खोने ...........................................।

सारी दुनिया बाज़ार हुई चेहरा ले लो चाहे गुलाल,
कुछ रंगे रंगाए चेहरे हैं ऊपर से दिखते लाल लाल,
कुछ मौन हुए ऐसे चेहरे जिनको चेहरों की चाह न
कुछ उत्तर देते हैं चेहरे कुछ ख़ुद ही बन बैठे सवाल ।
एक चेहरा ख़ाली ख़ाली है
ना रंगत है ना लाली है,
वह है शहीद कि बेवा का जिसे बाँह मिली ना रोने को
तुमको खोने .................……………।

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